मंगलवार, 3 मई 2011

तुम्हारी याद आती है, तो लाखों दीप जलते हैं





पवन जब गुनगुनाती है, तुम्हारी याद आती है

घटा घनघोर छाती है, तुम्हारी याद आती है

बर्क़ जब कड़कडाती हैं, तुम्हारी याद आती है

कि जब बरसात आती है, तुम्हारी याद आती है



तुम्हारी याद आती है, तो लाखों दीप जलते हैं

मेरी चाहत के मधुबन में हज़ारों फूल खिलते हैं

इन आंखों में कई सपने, कई अरमां मचलते हैं

तुम्हारी याद आती है तो तन के तार हिलते हैं


kavi sammelan,hindi,albela khatri,bahut khoob,sab,dhamaal,hasya,sahitya












5 टिप्‍पणियां: