साहित्य-सहवास
शुक्रवार, 19 मार्च 2010
गीतों में भर दिया
नयनों
से
झरते
नीर
को
गीतों
में
भर
दिया
मैंने
हृदय
की
पीर
को
गीतों
में
भर
दिया
भगवान
की
क़सम
,
इसे
बेचा
नहीं
कहीं
मैंने
मेरे
ज़मीर
को
गीतों
में
भर
दिया
2 टिप्पणियां:
Udan Tashtari
20 मार्च 2010 को 5:06 am बजे
बहुत खूब!!
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किरण राजपुरोहित नितिला
20 मार्च 2010 को 10:57 am बजे
वाह्ह्ह्ह क्या बात है !!!!!!!!
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