शनिवार, 20 मार्च 2010
बांहों में भर ले बलम हरजाई
जाड़े का मौसम, छोटी रजाई
बांहों में भर ले बलम हरजाई
ननद निगौड़ी बाज़ न आए
दरवज्जे पर कान लगाए
सरका दे खटिया,
बिछाले चटाई .............बांहों में भर ले ...........
तू मेरा राजा, मैं तेरी रानी
अब काहे की आना-कानी
काहे का डर
मैं हूँ तेरी लुगाई .........बांहों में भर ले ..........
मेरे दिल का दरद न जाने
मैं जो कहूँ तो बात न माने
बाबुल ने ढूँढा है
कैसा जमाई ..................बांहों में भर ले ............
तेरे ही नाम की बिन्दिया-काजल
झुमका , कंगना,बिछुआ,पायल
तेरे ही नाम की
मेंहदी रचाई ..............बांहोंमें भर ले ..............
अपना हो के यूँ न सज़ा दे
प्यासी हूँ मैं मेरी प्यास बुझा दे
मर जाऊंगी वरना
राम दुहाई ....................बांहों में भर ले.................
www.albelakhatri.com
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क्या गजब का अंदाज है .. भैय्या आल इज वेळ
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं"एक तेल की बोतल भी साथ रख ले साजना वर्ना भीतर कैसे जायेगा तेरा ..."
जवाब देंहटाएंये लाइन भी इसमें जोड़ लें.
wah ji waj bahut hi behatrin khatri ji maja aa gaya padhkar
जवाब देंहटाएंगीत तो बहुत ही सुन्दर है!
जवाब देंहटाएंमगर क्या करें?
अब तो गर्मी पड़ने लगी है!
गर्मी के लिए भी कुछ उपाय बताइए ना!
बहुत खूब...बढ़िया अंदाज और मजेदार रचना...बधाई
जवाब देंहटाएंएक नए अंदाज़ में आपने शानदार और लाजवाब रचना लिखा है! बहुत बहुत सुन्दर! इस उम्दा रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ !
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