गुरुवार, 31 दिसंबर 2009

वह कुछ भी हो, साहित्य नहीं




जो करे उजाला नित्य नहीं


वो दीपक है, आदित्य नहीं


जिसमें जन का कुछ हित नहीं


वह कुछ भी हो, साहित्य नहीं



बुधवार, 30 दिसंबर 2009

कुछ ऐसे दीवाने हैं कि.........




मन्दिर में,

मस्जिद में,

गिरजाघर में पाया है


इसी नरदेह में,

अनहद के

सच्चे
घर में पाया है


कई रोते-भटकते,

एड़ीयां

घिसते
रहे युग-युग


तो कुछ ऐसे

दीवाने
हैं कि

बस
पल भर में पाया है


मंगलवार, 29 दिसंबर 2009

नव वर्ष आ रहा है




नव वर्ष रहा है

उत्कर्ष रहा है

सबके हृदय में जैसे

नव हर्ष रहा है



आओ

फिर सपने देखें

कुछ औरों के

कुछ अपने देखें



ये जानते हुए

कि

सपने टूट जायेंगे

लुटेरे लूट जायेंगे

इस बार भी

बचा - खुचा हमारा सुकून

पी जायेंगे फिर सारा खून

हमारी देह का

..........

.........


आओ फिर सपने देखें.............

सिर्फ़ इस उम्मीद पर

कि उम्मीद पर दुनिया कायम है



watch & enjoy

laughter ke phatke

by albela khatri & abhijeet sawant

new year special episod on STAR ONE

31 dec. 2009 10 P.M.







रविवार, 27 दिसंबर 2009

प्यार पपीहे का पावन तप है




प्यार


को


प्यार रहने दो


व्यापार बनाओ




व्यापार बनाते हो


तो


प्यार मत जताओ



क्योंकि प्यार लुटने का सोपान है


और व्यापार लूटने का सामान है



व्यवहार


दोनों का भिन्न है


इसीलिए


दुनिया खिन्न है



क्योंके


उत्साह में कर अत्यन्त


अतिरेक कर देती है


और दो विपरीत धाराओं को


एकमेक कर देती है



प्यार पपीहे का पावन तप है


जबकि व्यापार बगुला जप है



दोनों


कभी और किसी भी कीमत पर


एक नहीं हो सकते



याने


प्यार में व्यापार के इरादे
कभी


नेक नहीं हो सकते



enjoy laughter ke phatke

new year special

performing by

albela khatri & abhijeet sawant

on STAR ONE 31 DEC.10 P.M.




शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009

क्योंकि उसका अपना दिल है ....




सुनो !

सुनो !

सुनो !

अपने दिल की धड़कन सुनो !



गुनो !

गुनो !

गुनो !

अपने अस्तित्व का स्वर गुनो !



चुनो !

चुनो !

चुनो !

अपने मन का मार्ग चुनो !



स्वतन्त्र हो तुम

सुनने के लिए

गुनने के लिए

चुनने के लिए



लेकिन ख़बरदार !

ये स्वतंत्रता केवल तुम्हारी ही बपौती नहीं है

ये सम्पदा सांझी है किसी इक की होती नहीं है

इसलिए

औरों को भी चुनने देना उनकी मर्ज़ी के मार्ग

बाधक मत बनना



क्योंकि उसका अपना दिल है

उसका अपना अस्तित्व है

और उसका अपना मन है





गुरुवार, 24 दिसंबर 2009

तुम्हें वहम है कि तुमने प्यार किया है




आहट

तुमने की नहीं

बेवफ़ाई करते वक़्त

होने भी नहीं दी

लेकिन

मैंने

सुन ली

इसका मतलब जानते हो ?



मुझे यकीं है

कि तुम नहीं जानते

क्योंकि

जानते

तो मेरे ज़र्फ़ को

और तड़फ को

पहचान जाते.............

यानी मान जाते

कि मुहब्बत

किस चिड़िया का नाम है



तुम्हें वहम है

कि तुमने प्यार किया है

अस्ल में

तुमने प्यार नहीं

बस ..व्यवहार किया है



दुनियादारी की हद में रह कर

तुमने

प्यार को भी

संकुचित कर दिया है



तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ा

लेकिन

आज तुमने

इक आशिक के इश्क़ को

लज्जित कर दिया है



बेशक

मैं तुझे इस हरकत के लिए

शर्मसार नहीं करूँगा

लेकिन

इतना तय है कि तुझसे

मैं प्यार नहीं करूँगा





रविवार, 20 दिसंबर 2009

मज़ा आता है शायद तुम्हें यूँही जीने में




रुत
रंगीली है


सीली सीली है


पवन नशीली है


देह भी गीली है



____ऐसे में याद तुमको किया है


____प्याला मुहब्बत का पिया है




तुम आओ तो बात बन जाये


ये रात, सुहागरात बन जाये



मगर तुम आओगी नहीं


वो आग बुझाओगी नहीं



जो जल रही है लगातार हमारे सीने में


मज़ा आता है शायद तुम्हें यूँही जीने में



तुम बदल पाओगी अपना चलन


इसलिए जलता ही रहेगा ये बदन



बरसात आये कि आये


क्या फ़र्क पड़ता है ................





शनिवार, 19 दिसंबर 2009

हर भाषा मेरी भाषा है




आशा लिखूं

तो आशा है


निराशा लिखूं

तो निराशा है


मुझ पर

किसी इक भाषा का

बन्धन क्यों हो ?


हर भाषा

मेरी भाषा है



कविता और मोहब्बत

सोच कर

नहीं हो सकती

होने के बाद

सोचा जाता है


भाषा का वस्त्र पहनाया जाता है

और

सिलसिला आगे बढ़ाया जाता है


__हो सकता है मैं गलत सोचता होऊं


लेकिन मेरा दिल कहता है



बन्धन जब सारे टूटते हैं

पूर्वाग्रह जब पीछे छूटते हैं

तभी कवि की हृदयमही से

कविता के झरने फूटते हैं





शुक्रवार, 18 दिसंबर 2009

मुझे ये फ़र्ज़ लाज़मी है



द्वार

बन्द नहीं है उसका

लेकिन

मैं खटखटा रहा हूँ

क्योंकि

उसकी अनुमति बिना

भीतर

जाने से सकुचा रहा हूँ



सकुचाना भी चाहिए,

मुझे ये फ़र्ज़ लाज़मी है

मैं तो सिर्फ़ आदमी हूँ

किन्तु वो बड़ा आदमी है



गुरुवार, 17 दिसंबर 2009

सफर लम्बा है, थोड़ा सामान बाँध लो..........




तेरी संगत

मेरी रंगत निखार देती है


पर तेरी मुहब्बत

अक्सर मुसीबत में डाल देती है


क्योंकि ज़माना

ढूंढता है बहाना क़त्ल करने का


हर तरफ़ धोखा

नहीं कोई मौका वस्ल करने का


अपनी हस्ती जुदा है

अपनी मस्ती जुदा है

अपनी बस्ती जुदा है


ये कोई और लोग हैं जो जीना नहीं जानते

ये सागर नहीं जानते हैं, मीना नहीं जानते

ये ऐसे मयफ़रोश हैं जो पीना नहीं जानते



सौदागरों के शहर में हम जी नहीं पाएंगे

ज़ख्मे-जाना किसी कदर सी नहीं पायेंगे

चलो चलें कहीं और, यहाँ पी नहीं पायेंगे



पहलू में थोड़ा सब्र--ईमान बाँध लो

सफर लम्बा है, थोड़ा सामान बाँध लो


ग़म जल पड़ेंगे

हम चल पड़ेंगे


चलते रहेंगे

चलते रहेंगे

चलते रहेंगे




DONT MISS

laughter ke phatke by albela khatri

ON STAR ONE


TONIGHT 17 DEC. 10 P.M.

बुधवार, 16 दिसंबर 2009

प्यार में कायनात प्यारी लग रही है



आजकी यह रात प्यारी लग रही है


आपकी हर बात प्यारी लग रही है




चाँद उतरा है ज़मीं पर, आसमां में


तारों की बारात प्यारी लग रही है




अब नहीं कोई गिला-शिकवा किसी से


प्यार में कायनात प्यारी लग रही है




क्यों करे परवाह दिल अन्जाम की


जिस्म से शुरुआत प्यारी लग रही है




वस्ल है करमा की ऐसी खीचड़ी के


दाल प्यारा, भात प्यारी लग रही है




*** ENJOY LAUGHTER KE PHATKE

WITH ALBELA KHATRI

ON STAR ONE - 17 DEC. 2009 AT 10 P.M.***


मंगलवार, 15 दिसंबर 2009

मिट्टी को मेरी छूकर कर डाला तूने सोना




कमाल कर दिया रे

धमाल कर दिया रे

नज़रे-क़रम से तूने

निहाल कर दिया रे



अब और क्या मैं मांगूं

सब कुछ तो मिल गया है

सदियों से बन्द था जो

शतदल वो खिल गया है



नूरानी कर दिया है भीतर का कोना कोना

मिट्टी को मेरी छूकर कर डाला तूने सोना



महका दिया है तन-मन

महका दिया है आँगन

सूखा ही था जो अब तक

हरिया गया वो गुलशन


अब छोड़ के जाना, बस इतनी इल्तज़ा है

तुझ बिन नहीं है कुछ भी, तू है तो हर मज़ा है



मेरे हुज़ूर ! तेरा दीदार हो गया है

संसार सारा जैसे गुरूद्वार हो गया है

उद्धार हो गया है

उद्धार हो गया है

उद्धार हो गया है


धन्य है तू और तेरी रहनुमाई

धन्य है तू और तेरी रहमताई

धन्य है तू धन्य है हर गीत तेरा

धन्य है तू धन्य है संगीत तेरा








सोमवार, 14 दिसंबर 2009

क्योंकि मैं आज थोड़ा सुरूर में हूँ ..........




महक ये

उसी के मन की है

जो चली रही है

केश खोले


दहक ये

उसी बदन की है

जो दहका रही है

हौले हौले



महल मोहब्बत का आज सजा संवरा है

आग भड़कने का आज बहुत खतरा है


डर है कहीं आज

खुल जाए राज़


क्योंकि मैं आज थोड़ा सुरूर में हूँ

उसी की मोहब्बत के गुरूर में हूँ


जो है मेरा अपना...........

सदा सदा से ..........


मेरा मुर्शिद

मेरा राखा

मेरा पीर

मेरा रब

मेरा मालिक

मेरा सेठ

मेरा बिग बोस


वो आज उतरा है भीतर मेरी टोह लेने

मैं सहमा खड़ा हूँ फिर इम्तेहान देने


जानते हुए कि फिर रह जाऊंगा पास होने से

आम फिर महरूम रह जाएगा ख़ास होने से


लेकिन मन लापरवाह है

क्योंकि वो शहनशाह है


लहर आएगी, तो मेहर कर देगा

मुझे भी अपने नूर से भर देगा


मैं मुन्तज़िर रहूँ ये काफ़ी है

मैं मुन्तज़िर रहूँ ये काफ़ी है

मैं मुन्तज़िर रहूँ ये काफ़ी है




रविवार, 13 दिसंबर 2009

बच्चे अब जापानी तेल की डिमाण्ड नहीं करेंगे




अब
मेरी सुबह उदास नहीं होगी

दोपहर भी
बदहवास नहीं होगी


अब मेरी चाय का ज़ायका ख़राब नहीं होगा

सामने मेरे अब दाउद या कसाब नहीं होगा


कोई लाज लुटती नज़र आएगी किशोरी की

ही वीभत्स कहानी होगी किसी अघोरी की


रक्तरंजित रेल दुर्घटनाएं नहीं दहलायेंगी

किसानों की आत्महत्याएं नहीं सताएंगी


स्वाइन फ़्लू अब डराने नहीं आएगा

हादसा कोई अब सताने नहीं आएगा


नग्न बालाओं के चित्र अब उत्तेजित नहीं करेंगे

बच्चे अब जापानी तेल की डिमाण्ड नहीं करेंगे


स्तनवर्धक लोशन का विज्ञापन नहीं ललचाएगा

इन्द्रियवर्धक यन्त्र भी अब मेरे घर में नहीं आएगा



एक ही झटके में हर तनाव से नाता तोड़ लिया है

मैंने आज से घर में अख़बार मंगाना छोड़ दिया है



शनिवार, 12 दिसंबर 2009

ज़बरदस्ती के लिए फुर्सत नहीं है




कल
एक ग़ज़ल कही थी "फुर्सत नहीं है"

ज़्यादातर पाठकों को उसे पढ़ने की फुर्सत ही नहीं मिली

इसलिए मैंने आज 10 ग़ज़लें इसी ज़मीन पर लिख दी हैं

थोड़ी सी फुर्सत निकाल कर पढ़ लेंगे तो आपका क्या जाएगा ?

मेरा दिल रह जाएगा ....है के नहीं !

तो फिर आइये , बांचिये और टिपियाइये.....

ताकि मुझे भी फुर्सत मिले थोड़ी सी.....



मौज मस्ती के लिए फुर्सत नहीं है


मटर गश्ती के लिए फुर्सत नहीं है



बस्ती वालों के लिए फुर्सत कहाँ ?


घर गृहस्थी के लिए फुर्सत नहीं है



मूड है गर प्यार का तो बोलिये !


ज़बरदस्ती के लिए फुर्सत नहीं है



मैं वतन दुरूस्त करने में जुटा हूँ


तनदुरूस्ती के लिए फुर्सत नहीं है



सरफ़रोशी की तमन्ना जग गई है


सर परस्ती के लिए फुर्सत नहीं है



मुल्क की हस्ती रहे, इस फिक्र में


अपनी हस्ती के लिए फुर्सत नहीं है


--अलबेला खत्री

शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009

ग़म मनाने के लिए फुर्सत नहीं है




गीत गाने के लिए फुर्सत नहीं है


मुस्कुराने के लिए फुर्सत नहीं है



धन कमाने में फँसा हूँ इस कदर


धन उड़ाने के लिए फुर्सत नहीं है



पीने को कुछ हो तो ले आओ मगर


मुझको खाने के लिए फुर्सत नहीं है



मत दिखाओ कार्ड मुझको शादियों के


आने-जाने के लिए फुर्सत नहीं है



मित्र के देहान्त पर दुःख है मगर


ग़म मनाने के लिए फुर्सत नहीं है



सत्य कहना विवशता है 'अलबेला'


अब बहाने के लिए फुर्सत नहीं है




गुरुवार, 10 दिसंबर 2009

जो कराना है करालो.............




तुम कहो तो मैं सितारे तोड़ लाऊं


तोड़ कर घर तक तुम्हारे छोड़ आऊं



तुम कहो तो मैं समन्दर को सुखा दूँ


उसका सारा खारापन खा कर पचा दूँ



तुम कहो तो बेर का हलवा बना दूँ


सारा हलवा तेरी कुतिया को खिलादूं



तुम कहो तो हिमशिखर पर घर बनालूँ


और सूरज पर नया दफ़्तर बनालूँ



तुम कहो तो चाँद पर झूला लगा दूँ


बादलों की गोद में बिस्तर बिछा दूँ



तुम कहो तो दिल्ली को नीलाम कर दूँ


आगरे का ताज तेरे नाम कर दूँ



इससे पहले कि प्रिये ! मैं जाग जाऊं


खटिया से उठ कर कहीं पर भाग जाऊं



जो कराना है करालो.............


जो कराना है करालो.............


जो कराना है करालो.............

बुधवार, 9 दिसंबर 2009

फिर तुम्हारा जी करे तो लौट जाना




रात ये

मधुरात सी


मधुरात सी

बारात सी


बारात सी

बरसात सी


बरसात सी

जज़्बात सी


जज़्बात सी

उत्पात सी


उत्पात सी

आघात सी


आघात सी

हालात सी


_____हालात तुम बिन क्या हुए हैं देख लो...........

_____क्या थे, क्या हम हो गए हैं देख लो...........


देख लो इक बार कर आशियाना

फिर तुम्हारा जी करे तो लौट जाना


लौट जाना इस तरह कि टूट जाए हर सगाई

तू अगर राज़ी है इसमे, मेरी भी इसमे रज़ाई



मुझे भरोसा है तुझ पर...........




एकान्त के क्षण

मिलते नहीं

इसलिए

भीतर के फूल

खिलते नहीं

परन्तु मुझे भरोसा है तुझ पर

कि तू दुई मिटा देगा..........

परदे सब हटा देगा ..........

एकाकार हो जायेंगे जब हम

तो जोत जल जायेगी

साधना फल जायेगी

जब हम घुल जायेंगे

आपस में मिल जायेंगे

तो फूल

ख़ुद--ख़ुद ही खिल जायेंगे


-अलबेला खत्री


रविवार, 15 नवंबर 2009

टूटना और बिखरना है बाकी अभी



अक़्स
--सावन उभरना है बाकी अभी

रुत का सजना, संवरना है बाकी अभी



उनकी क़ातिल अदाओं का दिल में मेरे

दशना बन के उतरना है बाकी अभी



उनकी गलियों से तो कल गुज़र आए हैं

अपनी हद से गुज़रना है बाकी अभी



उनके आने के झूठे भरम का दिल !

टूटना और बिखरना है बाकी अभी



जल्दबाजी कर 'अलबेला' इस कदर

उनका इज़हार करना है बाकी अभी


शनिवार, 14 नवंबर 2009

आइये, हम हास्य और आनन्द की बातें करें



फूल की बातें करें, मकरन्द की बातें करें

गीत की बातें करें और छन्द की बातें करें

द्वेष ने बारूद पर बैठा दिया है आदमी

आइये, हम हास्य और आनन्द की बातें करें


शुक्रवार, 13 नवंबर 2009

क्या ख़बर फिर ऐसा मौसम हो न हो........



आओ


कुछ बात करें......


खामोश रह कर

बाहोश रह कर............



आओ

जाग जाएं कुछ लम्हात के लिए

उठ जाएं सफ़र की रात के लिए



आओ

टटोल लें

गांठें अपनी खोल लें तन्हाई में

डूब जायें चार पल शहनाई में


क्या ख़बर फिर ऐसा मौसम हो हो........

क्या ख़बर फिर संग तुम-हम हों हों


आओ

कुछ बात करें......


खामोश रह कर

बाहोश रह कर............