शनिवार, 20 मार्च 2010
बांहों में भर ले बलम हरजाई
जाड़े का मौसम, छोटी रजाई
बांहों में भर ले बलम हरजाई
ननद निगौड़ी बाज़ न आए
दरवज्जे पर कान लगाए
सरका दे खटिया,
बिछाले चटाई .............बांहों में भर ले ...........
तू मेरा राजा, मैं तेरी रानी
अब काहे की आना-कानी
काहे का डर
मैं हूँ तेरी लुगाई .........बांहों में भर ले ..........
मेरे दिल का दरद न जाने
मैं जो कहूँ तो बात न माने
बाबुल ने ढूँढा है
कैसा जमाई ..................बांहों में भर ले ............
तेरे ही नाम की बिन्दिया-काजल
झुमका , कंगना,बिछुआ,पायल
तेरे ही नाम की
मेंहदी रचाई ..............बांहोंमें भर ले ..............
अपना हो के यूँ न सज़ा दे
प्यासी हूँ मैं मेरी प्यास बुझा दे
मर जाऊंगी वरना
राम दुहाई ....................बांहों में भर ले.................
www.albelakhatri.com
शुक्रवार, 19 मार्च 2010
गीतों में भर दिया
नयनों से झरते नीर को गीतों में भर दिया
मैंने हृदय की पीर को गीतों में भर दिया
भगवान की क़सम, इसे बेचा नहीं कहीं
मैंने मेरे ज़मीर को गीतों में भर दिया
गुरुवार, 18 मार्च 2010
इत्ते भर से गा लूँगा
मैं तुझे गाना चाहता हूँ
गुनगुनाना चाहता हूँ
बस..........
ज़रा कंठ सध जाये
ताल बैठ जाये
सुर लग जाये
और
मूड बन जाये
ज़िन्दगी !
ओ ज़िन्दगी !
गीत हों न हों
गीतकार का दर्द तो है
संगीत हो न हो
सांस की झंकार तो है
मैं गा लूँगा
इत्ते भर से गा लूँगा
बस............
ज़रा कंठ सध जाये
ताल बैठ जाये
सुर लग जाये
और
मूड बन जाये
www.albelakhatri.com
सदस्यता लें
संदेश (Atom)