शनिवार, 20 मार्च 2010

बांहों में भर ले बलम हरजाई




जाड़े का मौसम, छोटी रजाई

बांहों में भर ले बलम हरजाई



ननद निगौड़ी बाज़ न आए

दरवज्जे पर कान लगाए

सरका दे खटिया,

बिछाले चटाई .............
बांहों में भर ले ...........



तू मेरा राजा, मैं तेरी रानी

अब काहे की आना-कानी

काहे का डर

मैं हूँ तेरी लुगाई .........
बांहों में भर ले ..........



मेरे दिल का दरद न जाने

मैं जो कहूँ तो बात न माने

बाबुल ने ढूँढा है

कैसा जमाई ..................
बांहों में भर ले ............



तेरे ही नाम की बिन्दिया-काजल

झुमका , कंगना,बिछुआ,पायल

तेरे ही नाम की

मेंहदी रचाई ..............
बांहोंमें भर ले ..............



अपना हो के यूँ न सज़ा दे

प्यासी हूँ मैं मेरी प्यास बुझा दे

मर जाऊंगी वरना

राम दुहाई ....................
बांहों में भर ले.................












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7 टिप्‍पणियां:

  1. क्या गजब का अंदाज है .. भैय्या आल इज वेळ

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. "एक तेल की बोतल भी साथ रख ले साजना वर्ना भीतर कैसे जायेगा तेरा ..."

    ये लाइन भी इसमें जोड़ लें.

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  4. गीत तो बहुत ही सुन्दर है!
    मगर क्या करें?
    अब तो गर्मी पड़ने लगी है!
    गर्मी के लिए भी कुछ उपाय बताइए ना!

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  5. बहुत खूब...बढ़िया अंदाज और मजेदार रचना...बधाई

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  6. एक नए अंदाज़ में आपने शानदार और लाजवाब रचना लिखा है! बहुत बहुत सुन्दर! इस उम्दा रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ !

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