बुधवार, 5 मई 2010
बेटी माँ बाप की साँसों का सतत स्पन्दन है
बेटियां आँगन की महक होती हैं
बेटियां चौंतरे की चहक होती हैं
बेटियां सलीका होती हैं
बेटियां शऊर होती हैं
बेटियों की नज़र उतारनी चाहिए
क्योंकि बेटियां नज़र का नूर होती हैं
इसीलिए
बेटी जब दूर होती हैं बाप से
तो मन भर जाता संताप से
डोली जब उठती है बेटी की
तो पत्थरदिलों के दिल भी टूट जाते हैं
जो कभी नहीं रोता
उसके भी आँसू छूट जाते हैं
बेटियां ख़ुशबू से भरपूर होती हैं
उड़ जाती हैं तब भी सुगन्ध नहीं जाती
क्योंकि बेटियां कपूर होती हैं
बेटी घर की लाज है
बेटी से घर है समाज है
बेटी दो दो आँगन बुहारती है
बेटियां दो दो घर संवारती हैं
बेटी माँ बाप की साँसों का सतत स्पन्दन है
बेटी सेवा की रोली और मर्यादा का चन्दन है
बेटी माँ का दिल है, बाप के दिल की धड़कन है
बेटी लाडली होती है सब की
बेटियां सौगात होती है रब की
बेटे ब्याह होने तक बेटे रहते हैं
लेकिन बेटी आजीवन बेटी रहती हैं
बेटियों की गरिमा पहचानता हूँ
बेटियों का समर्पण मैं जानता हूँ
इसलिए बेटी को मैं पराया नहीं
अपितु अपना मूलधन मानता हूँ
www.albelakhatri.com
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महान पोस्ट
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें और मुझे कृतार्थ करें
इस्लाम का नजारा देखें
सुन्दर...अर्थपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा सोच से निकली कविता / बेटियों का सम्मान करना समाज को सिखाना होगा /
जवाब देंहटाएंजो नहीं सीखेगा उसके लिए सख्त सजा का प्रावधान भी करना होगा /
वाकई बेटियाँ नूर हैं
जवाब देंहटाएंरचना करती, पाठ-पढ़ाती,
जवाब देंहटाएंआदि-शक्ति ही नारी है।
फिर क्यों अबला बनी हुई हो,
क्या ऐसी लाचारी है।।
प्रश्न-चिह्न हैं बहुत,
इन्हें अब शीघ्र हटाना होगा।
खोये हुए निज अस्तित्वों को,
भूतल पर लाना होगा।।
वाह ..! सुन्दर रचना ......प्रसंशनीय ....कभी समय हो तो यहाँ भी पधारे
जवाब देंहटाएंhttp://athaah.blogspot.com/
Albela Ji sundar..lagta hai beti ka dukh hai aap ko.
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