सोमवार, 17 मई 2010
थोक के भाव कविताई करने वालो ! कविता के बारे में भी कुछ तो कहो.......
कल की पोस्ट में मैंने सबसे आग्रह किया था कि कृपा कर के
कविता की परिभाषा अपने शब्दों में लिखें और बताएं लेकिन
उतना प्रतिसाद नहीं मिला जितना मुझे अपेक्षित था ।
जो भी हो, मैं एक बार फिर प्रयास करता हूँ । आज कुछ और
परिभाषाएं कविता की पोस्ट कर रहा हूँ । यदि आपका
समर्थन इस काम को मिला तो ठीक वर्ना मैं इसकी अगली
कड़ी रोक दूंगा...........जो माल बिके ही नहीं, उसे बना कर भी
क्यों रखूं...हा हा हा हा हा हा
कविता क्या है ?
कल से आगे...................कड़ी क्रमांक 2
कविता भावनाओं से रंगी हुई बुद्धि है
- प्रोफ़ेसर विल्सन
कविता ईश्वर की इस प्रकार सेवा करने में है कि
शैतान नाराज़ न हो.......
- फुलर
जो कविता वासना से पैदा होती है, हमेशा नीचा गिराती है;
वास्तविक हार्दिकता से पैदा हुई कविता हमेशा शरीफ़ और
ऊँचा बनाती है
- ऐ ऐ हॉपकिन्स
कविता की एक ख़ूबी से किसी को इनकार नहीं होगा कि वह
गद्य की अपेक्षा थोड़े शब्दों में अधिक बहती है
- वोल्टेर
कविता विचार का संगीत है जो हम तक वाणी के संगीत में आता है
- चैट फील्ड
कविता शैतान की नहीं, ईश्वर की शराब है
- एमर्सन
कविता के जजों व समझने वालों की अपेक्षा हमें कवि ज़्यादा
मिलते हैं । एक अच्छा सा पद्य समझने की अपेक्षा एक रद्दी
सा पद्य लिख लेना आसान है
- माउन्टेन
कविता स्वयं ईश्वर की चीज़ है उसने अपने पैगम्बरों को कवि
बनाया और जब हम कविता की अनुभूति करते हैं, प्रेम और
शक्ति में ईश्वर के समान हो जाते हैं
- बेली
जिससे आनन्द प्राप्त न हो, वह कविता नहीं है.........
- जोबर्ट
कविता अपने दैवी स्रोत के सबसे ज़्यादा अनुरूप तब होती है
जबकि वह धर्म की शान्तिमयी धारा बहाती है
- वर्डस्वर्थ
प्यारे पाठकों से
विनती है कि आप भी अपने विचार भेजें
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माफ़ करियेगा सर कल पढ़ नहीं पाया आज बताता हूँ..
जवाब देंहटाएंकविता मुझे हमेशा से ही पसंद थी पुरानी कविता तो थी ही.. आधुनिक कविता तो और भी दिलचस्प हो गई है.... मुझे तो हमेशा से ही यही लगता था कि कविता ही मेरा जीवन है और इसके बिना जीवन की कल्पना भी अकल्पनीय दुःख को जगाती थी..
पर उस दिन तो बिलकुल टूट गया जब...
उसने भाग के दूसरे पड़ोसी से शादी कर ली...
Now seriously-
जवाब देंहटाएंकविता एक ऐसा बादल है, जो कब जिहन के आसमान पर आ जाये, छा जाये और कब बरस जाये इसका पूर्वानुमान कोई मौसम विशेषज्ञ नहीं कर सकता. क्योंकि ना तो आम मानसून की तरह इसका कोई वक़्त होता है और ना ही यह कवि किसान की दुआओं के असर से बनता, बरसता है. बस जब भी ज़ज्बात के समंदर पे किसी हालात का सूरज अपने सुख या दुःख के अहसास का ताप फैलाता है तो एक कविता रुपी बादल जन्म लेता है. अब निर्भर करता है की कब किस तरह का सूरज उगा और उसने किस तरह के ज़ज्बात को उकसा के कौन से बादल की कविता बना डाली.
मन तो सबका कवि ही होता है
जवाब देंहटाएंमगर जो मन की भावनाओं को लेखनी बना देता है
वही कवि हो जाता है!
अलबेला खत्री स्वयं इसके उदाहरण है!
एक ठो हमारी भी नोट कर लें: :)
जवाब देंहटाएंजब जब भी मैने
अपने दिल की बात को
किसी कागज पर उतारा है....
लोगों ने उसे
कविता कह कर पुकारा है.
-समीर लाल
विचारणीय व सार्थक प्रस्तुती /
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