रविवार, 31 अक्टूबर 2010
अपने धर्म को भूल जाना सचमुच बुरे से बुरा काम है
अपनी त्रुटि का पता चलने के बाद उसे मिटाने में
थोड़ा भी समय नहीं खोना चाहिए ।
इसी में हम कुछ करते हैं ; यही नहीं बल्कि सच्चा काम करते हैं ।
इसके विपरीत आचरण करके
अपने धर्म को भूल जाना सचमुच बुरे से बुरा काम है
- महात्मा गांधी
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बुधवार, 27 अक्टूबर 2010
फ़र्क देखो प्यार और व्यापार में............
प्यार
को
प्यार रहने दो
व्यापार न बनाओ
व्यापार बनाते हो
तो
प्यार मत जताओ
क्योंकि प्यार लुटने का सोपान है
और व्यापार लूटने का सामान है
व्यवहार
दोनों का भिन्न है
इसीलिए
दुनिया खिन्न है
क्योंके
उत्साह में आ कर अत्यन्त
अतिरेक कर देती है
और दो विपरीत धाराओं को
एकमेक कर देती है
प्यार पपीहे का पावन तप है
जबकि व्यापार बगुला जप है

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मंगलवार, 26 अक्टूबर 2010
या तो ख़ुद फ़रिश्ता हो या सुनने के लिए फ़रिश्ते रखे
आधा घंटा से ज़्यादा उपदेश देने के लिए
आदमी
या तो ख़ुद फ़रिश्ता हो या सुनने के लिए फ़रिश्ते रखे
-व्हाईट फ़ील्ड

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शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2010
रिश्ते में तो हम हिन्दी के बेटे हैं और नाम है माणिक मृगेश
आइये मित्रो !
आज मैं आपको मिलवाता हूँ एक ऐसे महान हिन्दी सेवक से
जिनकी पूरी की पूरी जीवनचर्या अपने दैनंदिन रिदम के साथ
लगातार हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने में
जुटी है ।
अनेकानेक सम्मान और पुरस्कार प्राप्त यह हस्ती पिछले दिनों
एक और बड़े सम्मान से सम्मानित हुई । आइये अपनी बधाइयों
और मंगल कामनाओं के साथ मिलें इण्डियन आयल में सतत
सेवारत, बड़ौदा निवासी एक ज़बरदस्त कलमकार डॉ माणिक
मृगेश जी से.........................




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रविवार, 10 अक्टूबर 2010
केवल 13 घंटे शेष बचे हैं, कृपया जल्द से जल्द अपनी रचना भेजिए व 900 रुपये पुरस्कार प्राप्त कीजिये
प्यारे ब्लोगर साथियो !
हम सब सरस्वती और शब्द-ब्रह्म के साधक उपासक हैं, संयोग से
अभी शारदीय नवरात्र भी चल रहे हैं, ऐसे में यदि कोई स्पर्धा हो
जगत जननी माँ जगदम्बा के वन्दन की, तो क्या हमें बढ़ चढ़ कर
भाग नहीं लेना चाहिए ? लेना चाहिए न ? तो लीजिये............मैंने
कब मना किया ?
मैं तो केवल ये बता रहा हूँ कि इस स्पर्धा का परिणाम घोषित होने में
केवल 13 घंटे शेष बचे हैं इसलिए कृपया जल्द से जल्द अपनी रचना
भेजिए...और वाह वाही के साथ साथ 900 रुपये का नगद पुरस्कार
भी प्राप्त कीजिये।
स्पर्धा के बारे में यदि आपको जानकारी न हो तो ये लिंक देख लीजिये :
http://albelakhari.blogspot.com/2010/10/500-900.html
-अलबेला खत्री
शुक्रवार, 1 अक्टूबर 2010
बहुत याद आएगी आज अहमदाबाद के कवि सम्मेलन में अशोक भट्ट की ..........
आज अहमदाबाद में बहुत बड़ा कवि-सम्मेलन है । राष्ट्रीय स्तर के
इस काव्य-महोत्सव में अनेक सुप्रसिद्ध और नामी-गिरामी
कवि/कवयित्री काव्य प्रस्तुति देंगे ।
मैं भी जा रहा हूँ वहां ....लेकिन आज वो उत्साह नहीं है जो हमेशा
हुआ करता है । पिछले 25 वर्षों में अहमदाबाद के लगभग 300
कवि सम्मेलनों में मैंने काव्यपाठ किया है पर आज पता नहीं क्यों
जाने का मन भी नहीं कर रहा है ।
इस के दो बड़े कारण हैं...पहला तो ये कि जो अक्सर कवि-सम्मेलनों
की रौनक हुआ करते थे वे विद्वान पुरूष और विधानसभाध्यक्ष
श्री अशोक भट्ट अब हमारे बीच नहीं रहे....कल ही उनका अन्तिम
संस्कार हुआ है और दूसरा कारण है अहमदाबाद शहर की संवेदनशीलता
अयोध्या पर आये निर्णय के बाद किसी प्रकार की अशांति की आशंका के
दृष्टिगत अभी घर से बाहर निकलना है तो जोखिम पूर्ण परन्तु जोखिम
का दूसरा नाम ही तो है ज़िन्दगी............
सो जा रहा हूँ....................
भारी मन से ही सहीं, अपना कर्म तो करना ही है
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