बुधवार, 27 अक्तूबर 2010
फ़र्क देखो प्यार और व्यापार में............
प्यार
को
प्यार रहने दो
व्यापार न बनाओ
व्यापार बनाते हो
तो
प्यार मत जताओ
क्योंकि प्यार लुटने का सोपान है
और व्यापार लूटने का सामान है
व्यवहार
दोनों का भिन्न है
इसीलिए
दुनिया खिन्न है
क्योंके
उत्साह में आ कर अत्यन्त
अतिरेक कर देती है
और दो विपरीत धाराओं को
एकमेक कर देती है
प्यार पपीहे का पावन तप है
जबकि व्यापार बगुला जप है
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कविता,
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प्यार पपीहे का पावन तप है
जवाब देंहटाएंजबकि व्यापार बगुला जप है
बिलकुल सही व्याख्या है। शुभकामनायें।