रविवार, 17 जनवरी 2010
लौट जाना इस तरह कि टूट जाए हर सगाई..........
रात ये
मधुरात सी
मधुरात सी
बारात सी
बारात सी
बरसात सी
बरसात सी
जज़्बात सी
जज़्बात सी
उत्पात सी
उत्पात सी
आघात सी
आघात सी
हालात सी
_____हालात तुम बिन क्या हुए हैं देख लो...........
_____क्या थे, क्या हम हो गए हैं देख लो...........
देख लो इक बार आकर आशियाना
फिर तुम्हारा जी करे तो लौट जाना
लौट जाना इस तरह कि टूट जाए हर सगाई
तू अगर राज़ी है इसमे, मेरी भी इसमे रज़ाई
मेरी भी इसमे रज़ाई
मेरी भी इसमे रज़ाई
मेरी भी इसमे रज़ाई
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बहुत बढ़िया..मेरी भी इसमें रज़ाई..क्या बात है..सुंदर भाव..धन्यवाद अलबेला जी!!
जवाब देंहटाएंशब्दों की जुगलबन्दी बहुत सुन्दर है जी!
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