गुरुवार, 7 जनवरी 2010
जीने की जो चाह है तो मौत से भी नेह कर
रात न ढले तो कभी
भोर नहीं होती बन्धु
सांझ न ढले तो कभी तम नहीं होता है
लोहू तो निकाल सकता
तेरे पाँव में से
कांच से मगर घाव कम नहीं होता है
जीने की जो चाह है तो
मौत से भी नेह कर
डरते हैं वो ही जिनमें दम नहीं होता है
सच मानो जब तक
पीर का काग़ज़ न हो
कवि की कलम का जनम नहीं होता है
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बहुत बढ़िया!!!
जवाब देंहटाएंसच मानो जब तक
पीर का काग़ज़ न हो
कवि की कलम का जनम नहीं होता है
सच है! जो मौत से नेह नहीं लगा सकता वह जिंदगी से भी नेह नहीं लगा सकता।
जवाब देंहटाएंवाह साब डरते वो है जो दम नहीं रखते ..सत्य वचन महाराज जी
जवाब देंहटाएंसत्य वचन महाराज जी...
जवाब देंहटाएंजीने की जो चाह है तो
जवाब देंहटाएंमौत से भी नेह कर
डरते हैं वो ही जिनमें दम नहीं होता है
सचमुच जोश भरने वाली पंक्तियाँ है !!! लाजवाब!!!
हर एक पंक्तियाँ सच्चाई बयान करती है! बहुत सुन्दर लगा!
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