शनिवार, 22 मई 2010

जिस थाली में खाना उसी में छेद करना .......हमारी विशेषता है





चन्दा रे चन्दा !


ओ चन्दा !

किस से सीखा ये धन्धा ?

हम से ही

सीखा होगा शायद


क्योंकि हमारे अलावा तो कोई

यह विद्या

जानता नहीं


अगर

जानता भी है तो

मानता नहीं



जिस थाली में खाना

उसी में छेद करना .......हमारी विशेषता है

जिसे तूने खूब अपनाया है

और आज

एक बार फ़िर

अपने आका

सूरज को ग्रहण लगाया है


यह घटना तो कुछ पल की है

सूरज

जल्दी ही

तेरे पंजे से निकल जाएगा


लेकिन

ग्रहण का यह पल

इतिहास में

अंकित हो गया है

और तू

सदा सदा के लिए

कलंकित

हो गया है

hindi hasya kavi  albela khatri poet hindi kavita  hasyakavita.com www.albelakhatri.com poem from heart of hindi kavi













the great actor om puri with hindi hasyakavi albela khatri

www.albelakhatri.com

4 टिप्‍पणियां: