शनिवार, 7 नवंबर 2009

अपनी लाज बचाने के लिये आत्मघात कर रही हैं




( सूरत में घटी एक शर्मनाक घटना पर )


पत्तियाँ


गुलाब

की

कुछ

यूँ

झर

रही

हैं



मानो

कमसिन

किशोरियां

अपनी

लाज

बचाने

के

लिए

आत्मघात

कर

रही

हैं

-अलबेला खत्री

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब अलबेला जी,कम शब्दों में गहरी बात दिल को छू गई....बधाई...

    डा.रमा द्विवेदी

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  2. कम शब्दो मे आप बहुत कुछ कह गये ।

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  3. dear albella khatri i read your blog this is nice write more and more byee...
    you are most welcome on http://www.aaina-e-waqt.blogspot.com

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  4. kya baat hai!bahut khoob albelaji!akdam sakar chitra.aapki kalpna ko naman.

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  5. Bahut kam shabdon men piida kii atyant sashakt abhivyaktii kii hai.Aap vastav men albela hain.
    JAI HO.

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