शनिवार, 7 नवंबर 2009
अपनी लाज बचाने के लिये आत्मघात कर रही हैं
( सूरत में घटी एक शर्मनाक घटना पर )
पत्तियाँ
गुलाब
की
कुछ
यूँ
झर
रही
हैं
मानो
कमसिन
किशोरियां
अपनी
लाज
बचाने
के
लिए
आत्मघात
कर
रही
हैं
-अलबेला खत्री
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बहुत खूब अलबेला जी,कम शब्दों में गहरी बात दिल को छू गई....बधाई...
जवाब देंहटाएंडा.रमा द्विवेदी
क्षणिका बहुत सुन्दर बन पड़ी है!
जवाब देंहटाएंकम शब्दो मे आप बहुत कुछ कह गये ।
जवाब देंहटाएंdear albella khatri i read your blog this is nice write more and more byee...
जवाब देंहटाएंyou are most welcome on http://www.aaina-e-waqt.blogspot.com
kya baat hai!bahut khoob albelaji!akdam sakar chitra.aapki kalpna ko naman.
जवाब देंहटाएंBahut kam shabdon men piida kii atyant sashakt abhivyaktii kii hai.Aap vastav men albela hain.
जवाब देंहटाएंJAI HO.