शुक्रवार, 13 नवंबर 2009
क्या ख़बर फिर ऐसा मौसम हो न हो........
आओ
कुछ बात करें......
खामोश रह कर
बाहोश रह कर............
आओ
जाग जाएं कुछ लम्हात के लिए
उठ जाएं सफ़र की रात के लिए
आओ
टटोल लें
गांठें अपनी खोल लें तन्हाई में
डूब जायें चार पल शहनाई में
क्या ख़बर फिर ऐसा मौसम हो न हो........
क्या ख़बर फिर संग तुम-हम हों न हों
आओ
कुछ बात करें......
खामोश रह कर
बाहोश रह कर............
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
sahi kaha aaj mausam bhi aisa hi hai
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना---भावनात्मक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंपूनम
" supreb sir ,bahut hi badhiya ...ek bhavpurn rachana "
जवाब देंहटाएं----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
क्या ख़बर फिर ऐसा मौसम हो न हो........
जवाब देंहटाएंक्या ख़बर फिर संग तुम-हम हों न हों
आओ
कुछ बात करें......
खामोश रह कर
बाहोश रह कर............
कमाल के शब्द प्रयोग किये हैं भइया जी!
बधाई!