शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

रात बहुत लम्बी है लेकिन कट ही जायेगी .........


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी



सन्नाटे के सीने में तूफ़ान छिपा है

दर्द के दिल में खुशियों का सामान छिपा है


अंधियारे के आँचल से सूरज निकलेगा

काँटों के साए में फिर से फूल खिलेगा

रात बहुत लम्बी है लेकिन कट ही जायेगी

फिर सुबह आएगी........

फिर सुबह आएगी........


अलबेला खत्री

11 टिप्‍पणियां:

  1. Ye huii na koii jordar bat. Ab mili mere dil ko thandak.
    Fir subah ayegii.........
    Fir subah ayegii.........
    Nishchit hii fir subah ayegii.
    Shayad ane hii valii hai.

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  2. आपका यह रूप आप के अनेक साहित्यिक रूपों में अधिक सलोना है
    काँटों के साए में फिर से फूल खिलेगा,
    प्रकृति सदा-धूप-छांह,गुल-खार,सुख-दुख,प्रकाश-अंधकार,पुरूष-स्त्री को साथ रखकर हमें तसल्ली देना चाहती है कि हम निराश न हो-और यही थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी भी है
    श्याम सखा श्याम

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  3. भाई बुरा न माने moderation किस लिए

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  4. अंधियारे के आँचल से सूरज निकलेगा
    काँटों के साए में फिर से फूल खिलेगा...
    वाह बहुत सुंदर कविता! छोटी सी प्यारी सी इस कविता ने तो दिल को छू लिया! रोज़ नई सुबह आती है नया रंग लेकर!

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  5. रात बहुत लम्बी है लेकिन कट ही जायेगी

    फिर सुबह आएगी........ बिलकुल !

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  6. आशावादी सुंदर रचना ......किसी ने कहा भी है -
    रात जितनी ही संगीन होगी ,
    सुबह उतनी ही रंगीन होगी.

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  7. आशा ही आलम्ब है .......अज्ञात का भय सोख लेती है आशा की एक छोटी किरण ........निश्चित ही फिर सुबह आयेगी .....!

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  8. अंधियारे के आँचल से सूरज निकलेगा
    काँटों के साए में फिर से फूल खिलेगा

    यही उम्मीद तो मानवता की ताक़त है. सुन्दर रचना के लिए बधाई.

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  9. " khubsurat ...bahut hi badhiya rachana .."

    ----- eksacchai { AAWAZ }

    http://eksacchai.blogspot.com

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