बुधवार, 8 सितंबर 2010

ये औरत, आज की औरत है ! इस्पात से बनी है




महक ये कहती है कि गुलात से बनी है

कार्तिक के शबनमी क़तरात से बनी है

नाज़ुकी ऐसी, गोया जज़्बात से बनी है

पर ये सब कयास है

पूरी तरह बकवास है


क्योंकि तज़ुर्बा कहता है कि

दर्दात
से बनी है


ज़र्फ़ से, ज़ुर्रत से, ज़ोर के

हालात
से बनी है


सुबहा जिसकी सकी,

उस
रात से बनी है


ये औरत,

आज
की औरत है !

इस्पात
से बनी है


इसलिए........................

ज़ुल्म मत कर इस पर

तू इसका एहतराम कर


सारी ख़ुदाई इसकी है,

तू रोज़ इसे सलाम कर

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