गुरुवार, 10 दिसंबर 2009
जो कराना है करालो.............
तुम कहो तो मैं सितारे तोड़ लाऊं
तोड़ कर घर तक तुम्हारे छोड़ आऊं
तुम कहो तो मैं समन्दर को सुखा दूँ
उसका सारा खारापन खा कर पचा दूँ
तुम कहो तो बेर का हलवा बना दूँ
सारा हलवा तेरी कुतिया को खिलादूं
तुम कहो तो हिमशिखर पर घर बनालूँ
और सूरज पर नया दफ़्तर बनालूँ
तुम कहो तो चाँद पर झूला लगा दूँ
बादलों की गोद में बिस्तर बिछा दूँ
तुम कहो तो दिल्ली को नीलाम कर दूँ
आगरे का ताज तेरे नाम कर दूँ
इससे पहले कि प्रिये ! मैं जाग जाऊं
खटिया से उठ कर कहीं पर भाग जाऊं
जो कराना है करालो.............
जो कराना है करालो.............
जो कराना है करालो.............
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सोते रहो, महाराज....तभी तक काम के हो..हा हा!! मस्त!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया...आप दिल्ली को नीलाम करने चले थे...मुझे तो अपनी चिंता हो गई थी कि इस उम्र में अब मैँ कहाँ जा कर बसूँगा?...
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा इससे पहले कि "मै जाग जाऊं", जय हो महाराज
जवाब देंहटाएंहास्य का सुन्दर रूप प्रस्तुत किया है आपने!
जवाब देंहटाएंजिन्दाबाद!
mere to pet men dard ho gaya hansate - hansate
जवाब देंहटाएंAPKII
PRIYATAMA
NE KYA
DEMAND
KII
YE BHII BATANA JARA
Aap to hansate hii raha karen ,
जवाब देंहटाएंye hii achha lagta hai
Isii style men.