शनिवार, 19 दिसंबर 2009
हर भाषा मेरी भाषा है
आशा लिखूं
तो आशा है
निराशा लिखूं
तो निराशा है
मुझ पर
किसी इक भाषा का
बन्धन क्यों हो ?
हर भाषा
मेरी भाषा है
कविता और मोहब्बत
सोच कर
नहीं हो सकती
होने के बाद
सोचा जाता है
भाषा का वस्त्र पहनाया जाता है
और
सिलसिला आगे बढ़ाया जाता है
__हो सकता है मैं गलत सोचता होऊं
लेकिन मेरा दिल कहता है
बन्धन जब सारे टूटते हैं
पूर्वाग्रह जब पीछे छूटते हैं
तभी कवि की हृदयमही से
कविता के झरने फूटते हैं
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सच कहते हैं आप, मित्र।
जवाब देंहटाएंतभी कवि की हृदयमही से
जवाब देंहटाएंकविता के झरने फूटते हैं
और तभी हर भाव कविता बन जाती है.
कविता और मोहब्बत
जवाब देंहटाएंसोच कर
नहीं हो सकती
होने के बाद
सोचा जाता है
उनका क्या करें जो कविता और मोहब्बत होने के बाद भी नहीं सोचते.
बहुत स्वाभाविक प्रक्रिया का उल्लेख है आपकी इस रचना में
बहुत सुन्दर