शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009
ग़म मनाने के लिए फुर्सत नहीं है
गीत गाने के लिए फुर्सत नहीं है
मुस्कुराने के लिए फुर्सत नहीं है
धन कमाने में फँसा हूँ इस कदर
धन उड़ाने के लिए फुर्सत नहीं है
पीने को कुछ हो तो ले आओ मगर
मुझको खाने के लिए फुर्सत नहीं है
मत दिखाओ कार्ड मुझको शादियों के
आने-जाने के लिए फुर्सत नहीं है
मित्र के देहान्त पर दुःख है मगर
ग़म मनाने के लिए फुर्सत नहीं है
सत्य कहना विवशता है 'अलबेला'
अब बहाने के लिए फुर्सत नहीं है
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धन उड़ाने के लिए फुर्सत बहुत है,
जवाब देंहटाएंदिल जलाने के लिए फुर्सत बहुत है।
सत्य कहने के लिए फुर्सत नही है-
माल खाने के लिए फुर्सत बहुत है।।
पढ़ता तो हूँ मैं ब्लॉग अब भी मित्रों
जवाब देंहटाएंबस टिपियाने के लिए फुर्सत नहीं है.
-जय हो, व्यस्त बाबा की!!!
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जवाब देंहटाएंब्लोग चर्चा मुन्नभाई की
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धन कमाने में फँसा हूँ इस कदर
धन उड़ाने के लिए फुर्सत नहीं है
धन हमे भेज दीजिऎ सर जी! हम है ना!
अति सुन्दर जी!
धन्यवाद!
महावीर बी. सेमलानी "भारती"
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यह पढने के लिऎ यहा चटका लगाऎ
भाई वो बोल रयेला है…अरे सत्यानाशी ताऊ..मैने तेरा क्या बिगाडा था
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर
"धन कमाने में फँसा हूँ इस कदर
जवाब देंहटाएंधन उड़ाने के लिए फुर्सत नहीं है"
माखी गुड़ में गड़ि रहै पंख रह्यौ लिपटाय।
हाथ मले अरु सिर धुने लालच बुरी बलाय॥
G K AVADHIYA JI
जवाब देंहटाएंSE POORI tarah
sahmat