बुधवार, 9 दिसंबर 2009
मुझे भरोसा है तुझ पर...........
एकान्त के क्षण
मिलते नहीं
इसलिए
भीतर के फूल
खिलते नहीं
परन्तु मुझे भरोसा है तुझ पर
कि तू दुई मिटा देगा..........
परदे सब हटा देगा ..........
एकाकार हो जायेंगे जब हम
तो जोत जल जायेगी
साधना फल जायेगी
जब हम घुल जायेंगे
आपस में मिल जायेंगे
तो फूल
ख़ुद-ब-ख़ुद ही खिल जायेंगे
-अलबेला खत्री
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पाठ जिसने अमन का जग को पढ़ाया,
जवाब देंहटाएंधर्म की निरपेक्षता का पथ दिखाया,
क्यों नजर आता नही वो व्याकरण।
देश का दूषित हुआ वातावरण।।
बहुत सुन्दर रचना, अलबेला भाई...
जवाब देंहटाएंफूल जरूर खिलेंगे अलबेला भाई। आस जगाने वाली रचना।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
उम्मीद पे दुनिया कायम रखिए...फूल ज़रूर खिलेंगे...बढिया रचना
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna
जवाब देंहटाएंहिन्दीकुंज