सोमवार, 14 दिसंबर 2009
क्योंकि मैं आज थोड़ा सुरूर में हूँ ..........
महक ये
उसी के मन की है
जो चली आ रही है
केश खोले
दहक ये
उसी बदन की है
जो दहका रही है
हौले हौले
महल मोहब्बत का आज सजा संवरा है
आग भड़कने का आज बहुत खतरा है
डर है कहीं आज
खुल न जाए राज़
क्योंकि मैं आज थोड़ा सुरूर में हूँ
उसी की मोहब्बत के गुरूर में हूँ
जो है मेरा अपना...........
सदा सदा से ..........
मेरा मुर्शिद
मेरा राखा
मेरा पीर
मेरा रब
मेरा मालिक
मेरा सेठ
मेरा बिग बोस
वो आज उतरा है भीतर मेरी टोह लेने
मैं सहमा खड़ा हूँ फिर इम्तेहान देने
जानते हुए कि फिर रह जाऊंगा पास होने से
आम फिर महरूम रह जाएगा ख़ास होने से
लेकिन मन लापरवाह है
क्योंकि वो शहनशाह है
लहर आएगी, तो मेहर कर देगा
मुझे भी अपने नूर से भर देगा
मैं मुन्तज़िर रहूँ ये काफ़ी है
मैं मुन्तज़िर रहूँ ये काफ़ी है
मैं मुन्तज़िर रहूँ ये काफ़ी है
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इस सुरूर को बनाए रखिए।
जवाब देंहटाएं------------------
ये तो बहुत ही आसान पहेली है?
धरती का हर बाशिंदा महफ़ूज़ रहे, खुशहाल रहे।
कामना है कि ये सुरूर कायम रहे।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
सुरूर कायम रहे।
जवाब देंहटाएंthanks
आमीन.
जवाब देंहटाएंसुरुर बना रहे...गुरुर जमा रहे!!
जवाब देंहटाएंजय हो!!
सभी सुरुरिया रहे हैं,
जवाब देंहटाएंमुझे तो लगता है आज दूऊऊऊऊऊऊर ही रहना ठीक होगा (:
Bahut sundar ---samvedanaon kee abhivyakti---
जवाब देंहटाएंHemantKumar
वाह बिल्कुल नया छन्द!
जवाब देंहटाएंसाधुवाद!
वाह अलबेला भाई आपके इस सुरूर के तो क्या कहने ...
जवाब देंहटाएंवाह अलबेला भाई,
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, इस अभिव्यक्ति की बधाई,
यह सरूर बना रहे..
बहुत खूब उम्मीद न छोड़ें
जवाब देंहटाएंमहल मोहब्बत का आज सजा संवरा है
जवाब देंहटाएंआग भड़कने का आज बहुत खतरा है
डर है कहीं आज
खुल न जाए राज़
क्योंकि मैं आज थोड़ा सुरूर में हूँ
उसी की मोहब्बत के गुरूर में हूँ
बस जी आप यूँ ही सरुर में रहा करो.....हमें तो राज़ खुलने का इन्तजार है .....!!
AAP TO YE BATA DO
जवाब देंहटाएंRaj kab khulega