शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009

ग़म मनाने के लिए फुर्सत नहीं है




गीत गाने के लिए फुर्सत नहीं है


मुस्कुराने के लिए फुर्सत नहीं है



धन कमाने में फँसा हूँ इस कदर


धन उड़ाने के लिए फुर्सत नहीं है



पीने को कुछ हो तो ले आओ मगर


मुझको खाने के लिए फुर्सत नहीं है



मत दिखाओ कार्ड मुझको शादियों के


आने-जाने के लिए फुर्सत नहीं है



मित्र के देहान्त पर दुःख है मगर


ग़म मनाने के लिए फुर्सत नहीं है



सत्य कहना विवशता है 'अलबेला'


अब बहाने के लिए फुर्सत नहीं है




5 टिप्‍पणियां:

  1. धन उड़ाने के लिए फुर्सत बहुत है,
    दिल जलाने के लिए फुर्सत बहुत है।
    सत्य कहने के लिए फुर्सत नही है-
    माल खाने के लिए फुर्सत बहुत है।।

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  2. पढ़ता तो हूँ मैं ब्लॉग अब भी मित्रों
    बस टिपियाने के लिए फुर्सत नहीं है.


    -जय हो, व्यस्त बाबा की!!!

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  3. ★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
    ब्लोग चर्चा मुन्नभाई की
    ★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★

    ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
    धन कमाने में फँसा हूँ इस कदर
    धन उड़ाने के लिए फुर्सत नहीं है

    धन हमे भेज दीजिऎ सर जी! हम है ना!
    अति सुन्दर जी!
    धन्यवाद!
    महावीर बी. सेमलानी "भारती"
    ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥

    यह पढने के लिऎ यहा चटका लगाऎ
    भाई वो बोल रयेला है…अरे सत्यानाशी ताऊ..मैने तेरा क्या बिगाडा था

    हे प्रभु यह तेरापन्थ

    मुम्बई-टाईगर

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  4. "धन कमाने में फँसा हूँ इस कदर
    धन उड़ाने के लिए फुर्सत नहीं है"


    माखी गुड़ में गड़ि रहै पंख रह्यौ लिपटाय।
    हाथ मले अरु सिर धुने लालच बुरी बलाय॥

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